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लेखनी कहानी -16-Jul-2022 गजल : हसीं यादें

यादों का बवंडर आज दिल में फिर से उठा है 
रेशमी जुल्फों की महक से "हरि" जी उठा है 

हाथों में हाथ था, एक तेरा वो दिलकश साथ था
आंखों के आगे वो हसीन मंजर जीवंत हो उठा है 

तेरे लबों पे सजता था मेरी ही बातों का अफसाना 
इश्क के साज पे छेड़ा तराना फिर से बज उठा है 

एक एक पल भारी पड़ता है कमबख्त जुदाई का 
तेरे आगोश में आकर मुर्दा बदन खिल सा उठा है 

खुश रहे, आबाद रहे, हसीं हो तेरा जहां ए दिलरुबा 
दुआओं के लिये सनम मेरा हर रोम फिर से उठा है 

श्री हरि 
16.7.22 


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9 Comments

Saba Rahman

16-Jul-2022 11:06 PM

Osm

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Reyaan

16-Jul-2022 11:00 PM

बहुत खूब

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Rony

16-Jul-2022 10:18 PM

Nice

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